बड़े हैं तो,
बच्चे हैं,
बड़ों का होना,
मतलब,
सर पर छत,
पैरों के नीचे ज़मीन,
का होना।
इंसान के जन्म से लेकर,
अपने पैरों पर,
खड़े होने तक के सफ़र का,
तय होना।
नवजात शिशु,
को जब मिलता है,
अपने बड़ों का सहारा,
लाड़-प्यार,
दुलार,
संभाला जाता है,
उसे पल-पल,
अनमोल मोती सा,
पाला जाता है,
नाज़ों से,
पिलाया जाता है,
अमृत तुल्य,
माँ का दूध,
सुलाया जाता है,
अपने बड़ों की,
बाहों के झूलों में,
घुमाया जाता है,
कंधों के सिंहासन पर,
रखा जाता है,
सात किवाड़ों की सुरक्षा में,
कितना भी कुछ हासिल कर ले कोई,
नहीं खरीद सकता,
यह अनमोल सुविधाएं,
दुबारा..........
उनके जाने के बाद।
बच्चे कितने भी बड़े हो जाएं,
छोटे रहेंगे वे बड़ों से,
उनका होना,
मतलब,
अंग पर वस्त्र होना,
खेलने को खिलौना,
पढ़ने को किताब,
सुख-सुविधाएं,
आराम,
नखरे-मनुहार,
खुशामद,
माफ़ी
सब कुछ मिलना।
बड़े हैं तो,
बच्चे हैं,
बच्चों की किस्मत से,
जीते हैं,
बड़े।
ईश्वर करे बच्चों की किस्मत,
चमकती रहे,
बड़ों के रूप में,
उनके सर पर छत,
और पैरों के नीचे ज़मीन बनी रहे,
सचमुच…....
बड़े हैं,
तो बच्चे हैं।
Monday 18 September 2017
बड़े हैं तो बच्चे हैं
Subscribe to:
Posts (Atom)