Thursday 5 January 2023

सच्ची बात

 .सच्ची बात


हाँ सच्ची बात

कह दी जाएगी

विश्वास कौन करेगा

पीड़ित अपना पक्ष

रख तो दे

उसपर विचार

कौन करेगा

गरीबों का मसीहा

कहलाते हैं जो

उनके नौकर को

पगार कौन देगा

मंच पर देते भाषण

स्त्री विमर्श पर

देर रात पीटते हैं

जूतों से पत्नी को

घरेलू हिंसा रोकने को

बेल कौन बजाएगा


सातवां आसमान

 सातवाँ आसमान

गुड़हल की लाली

गुलाब की कोमलता

अल्हड़ किशोरी

काया जैसे लता

संधि-वयस पर खड़ी

बड़ी-बड़ी आँखों में

बड़े-बड़े स्वप्न लिए

खोलती है पँख

छूने को आसमान

माँ का कलेजा

पीपल के पत्ते सा कंपित

पिता का हृदय

क्षण-क्षण आशंकित

बिटिया की चाहतें

ज़माने की दुश्वारियां 

संभलकर बिटिया

ध्यान रहे मेरी बच्ची

सड़क पर आकर उसका

डर-डर कर चलना

फूँक-फूँककर

कदम रखना

जब तक न लौटे

मातापिता की

टिकी रहती हैं

घड़ी पर निगाहें

एक एक दिन

कटता है 

सौ-सौ प्रार्थनाओं में

डर है

मन के भीतर

बहुत डर है

पर डर के मारे

बिटिया के

पँख न कतरेंगे

उसे सिखाएँगे

सामना करना

उड़ान भरना

उड़कर छू लेना

सातवें आसमान को


Monday 2 January 2023

अनारकली

 अनारकली


उधड़ती जा रही

कुर्ती की किनारी

खुलती हेम

निकलते धागे वाले

दामन से

रिसते सूत संभालती

काम पर निकलती 

अनारकली

सकुचा जाती है

सामने से

अनारकली सूट में

आती बड़ी कोठी की

मालकिन को देख

कहने को होती है

अब तो दिलवा दो न भाभी

मुझे भी एक

नया अनारकली सूट

हाँ यह बात

दीगर है कि

मेरे तन पर

अभी भी

आपका ही दिया सूट है

-"आ गई अनारकली

जा जल्दी जा

अम्माँ को चाय देकर

साहब का ब्रेकफास्ट

लगा देना

लंच में

मेथी मटर की सब्जी

और आलू का पराठा

दे देना,

हाँ दूध चढ़ा है गैस पर

वह भी देख लेना

मुन्ना सोया है अभी

तब तक

सारे काम निबटा ले

अभी फटाफट

अरे तू है तो

मेरा घर- परिवार

चल रहा है"

होठों में उलझ गए शब्द

भाभी एक नया

अनारकली सूट

बिल्कुल आप जैसा

कार के दरवाजे बंद

होने की ध्वनि में

छुप गई

उसकी आवाज

कि चौरसिया पान कॉर्नर पर

उससे भी

ऊँची ध्वनि में

बज उठा-

अनारकली डिस्को चली

पोंछा लगाती

अनारकली

सपने में खो

गई है

हाँ वह है

अपने सलीम सँग

बिल्कुल नए

अनारकली सूट में।


माँ भी किसी का बच्चा है

 माँ भी किसी का बच्चा है


महिमा और

बखान की परतें

उघाड़ कर

कभी देखना

माँ भी

एक इंसान है

उसे भी

दर्द होता है

थकती है वह भी

उसका भी

मन करता है

कोई पूछ ले

एक बार हाल

वो शिकायत

नहीं करती है

उफ्फ तक

भी नहीं बोलती

बच्चों की पसंद का

ध्यान रखती

अपनी पसंद

भूल जाती है

माँ से मिले 

सुखों को 

प्राप्त करते हुए

क्या हम

याद रख पाते हैं

कि

माँ भी

किसी का बच्चा है।