चलू कनि
भूमिका बदलि क
देखल जाय
दर्शक केँ
नर्तक-गायक
प्रदर्शक, वक्ता
आ प्रदर्शक
लोकनिकेँ
के श्रोता-दर्शक
बनाओल जाय
चलू आई
फैंसी कारमे
पैरे चलनाहर
लोककेँ
बैसाओल जाय
चलू आई
खाली जेबीमे
भरती जेबी
सँ किछु
निकालि क’
राखल जाय
चलू ने आई
कनि भेदभाव
मेटा क’
देखल जाय
चलू ने आई
कनि अन्हार
घर सभमे
दीप लेसल
जाय
चलू आई कनि
भरल खजाना
बिलहि देल जाय
चलू आई कनि
एकरत्ती
इजोरिया
अन्हरिया केँ सेहो
परसल जाय
चलू ने आई
सभटा विभेद
सँ उठि क’
अगबे मनुक्ख केँ
देखल जाय।