दुत्कारे जाने का दर्द
सहा जाना
कठिन था
तो उसने
पलटकर
दर्द को ही
दुतकारा था
दर्द ने उसे
दोनों हथेलियों पर
उठा लिया
वह उपेक्षा से
घबराई थी
पर उसकी मार ने
उसे कंधों
पर बैठाकर
उसकी दृष्टि को
दूर तक
स्पष्ट कर दिया
वह अपमान से
टूटी थी
पर अपमान ने
उसे समझाया
दूसरों की
गलती में भला
तुम्हारा क्या दोष
वह चोट खाकर
तिलमिलाई थी
पर चोट धीरे-धीरे
उसका पथ-प्रदर्शक
बन गया
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