बेवकूफ़ों से समझदारी की उम्मीद न कर
कंजूसों से दिलदारी की उम्मीद न कर
अपने अपने रास्ते निकल लेंगे सब
वक्त से पहले तैयारी की उम्मीद न कर
किसी को देख नाकभौं सिकोड़ना तौबा
नफ़रत देकर यारी की उम्मीद न कर
बेढंगे भोले भाले तुम खूब मिले हो
परजीवियों से खुद्दारी की उम्मीद न कर
अक्ल की छोटी कटोरी लबालब हुई
हल्का देकर भारी की उम्मीद न कर
दुहराने से झूठ सच नहीं होगा
चोरों से पहरेदारी की उम्मीद न कर
आँखों की भाषा पढ़ना आ जाए बस
मासूम से होशियारी की उम्मीद न कर
कठिन पल कटेंगे हमें काटकर ही सही
होशो-हवास में खुमारी की उम्मीद न कर
वफ़ा की राह में अटकाएँगे रोड़े जरूर
उचक्कों से वफ़ादारी की उम्मीद न कर।