Saturday 17 December 2022

मेट्रो में 5

 मेट्रो में 5

देर रात मेट्रो से 

घर लौटती महिलाएँ

थकी-हारी

उनींदी

मेट्रो-स्टेशन पर 

तेजी से दौड़ती हैं

प्लेटफॉर्म के अगले

हिस्से की ओर

हालांकि कदम

उठाने भर की

उर्जा भी

नहीं बची होती है

तब तक

एक-डेढ़ घंटे के लंबे सफ़र को 

सुरक्षित और सुकुनदेह 

बनाने का

ख्याल उनकी थकी टाँगों को 

बढ़ाता है आगे 

मेट्रो के रुकते ही

उतरने-चढने का कठिन संघर्ष

जिन्हें सीट मिली,

आँखें बंद कर

थकान मिटाने की 

आधी-अधूरी कोशिशों

में लेने लगी झपकियाँ 

जो खड़ी हैं कर रही हैं

सीट खाली होने की 

बेसब्री से प्रतीक्षा 

घर की

जिम्मेदारियां

झांक रही हैं अगल-बगल से

बज रहे हैं फोन

घनाघन 

सब बैठे हैं उनके...... 

नहीं-नहीं 

भोजन के इंतजार में 

ये मध्यवर्गीय 

कामकाजी महिलाएँ 

हमेशा डिमांड में 

रहती हैं,

सुबह दफ़्तर से 

लगातार फोन आते हैं,

रास्ते भर,

रात को घर से,

मेट्रो से निकलते हुए 

गुनगुनाना

चाहती हैं ये कोई 

मधुर गीत 

ताकि भर सकें 

खुद को नई 

ऊर्जा से

घर जाकर 

शुरू होनी है 

ड्यूटी की अगली शिफ्ट

मध्य-वर्गीय 

कामकाजी 

महिलाओं के लिए मेट्रो 

एक सराय भी है,

जहाँ सफ़र के दौरान 

थोड़ा सुस्ता लेती हैं 

व देख लेती हैं 

कुछ सुनहरे 

स्वप्न।   

  



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