Monday 26 December 2022

निर्णय

 निर्णय


शाम ढली है

उम्मीद नहीं

उनींदी शाम

अपने साये तले

उम्मीद के

कोमलतम तंतुओं

को दे रही आकार

नभ के पार

भी है नभ

धरती तले

भी है धरती

अपनी सीमाओं

से अनजान

अज्ञानी

कहता है

कुछ बचा कहाँ

हवा को

देख पाने को

पैनी दृष्टि

तो हो

जल के बीच

रहने वालों को

जुकाम नहीं होता

मेरे प्रत्यक्ष जो भी है

अपर्याप्त है

परोक्ष को

महसूस कर

ही करूँगी

कोई निर्णय।


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