अम्माँ की साड़ियाँ
अम्माँ की
साड़ियाँ
पड़ी हैं
अलमारी में
अब अम्माँ
सलवार कमीज
नाइटी
पहनती हैं
अब अम्माँ से
नहीं होती
कलफ
न इस्त्री
ये बाजार में
इस्त्री करने
वाले तो
जला डालते हैं
साड़ी
उन्हें नहीं पता न
इन साड़ियों के सूत सँग
अम्माँ की
कितनी यादें जुड़ी हैं
ड्राय क्लीनिंग
के नाम पर
कई साड़ियां
बदरंग हो
गईं
अम्माँ पहनना
चाहती हैं
साड़ियाँ
हम सब
देखना चाहते हैं उन्हें
नित नई-नई
डिज़ाइन की
साड़ियों में
पर अम्माँ
साड़ियों से
करती हैं प्रेम
बिल्कुल अपने
बच्चों की तरह
उनकी देखभाल में
कमी हो
ये उन्हें
बिल्कुल मंजूर नहीं
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