स्मृतियों की पिटारी
खूबसूरत पलों की
खुशियाँ..
संजो लें
इन पलों के
बीतने से पहले
हाथ आते-आते
फिसल जाना
पारे की तरह
खिसक जाना
स्वभाव है
पलों का
लंबे इंतजार
बाद आती हैं
निमिष मात्र
में जाती हैं
समेट लूँ
मुट्ठी, अंजुरी
और आँचल में
कहीं फिर
से न गुजर
जाएँ ये
सुनहरे पल
रखना
संभालकर
स्मृतियों की
पिटारी
ताकि
सनद रहे।
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