क्षणभंगुर
बादल गरजे
बरसने लगा पानी
भींगते गुलाब
मुस्कुराते रहे
उम्मीदों के
सुंदर स्वप्न
संजोते रहे कृषक
विरहिणी नायिका
बारिश में
आँसू छुपाती रही
राहगीर
भींगने से बचने की कोशिशों में
खुद को
कीमती रत्न सा छुपाकर भी
भींगते रहे
मुस्कुराते रहे
सुखद सुंदर वातावरण
बदल गया मातम में
औचक वज्रपात ने
लील लिया
क्षणांश में ही
कितना कुछ
जीवन आखिर
क्षणभंगुर ही है।
No comments:
Post a Comment