Monday 12 December 2022

अहम और वहम

 अहम और वहम


अक्सर आदमी

जब बड़ा आदमी

हो जाता है

फिर वह आदमी

नहीं रह जाता है

वह भूल जाता है

इंसानियत

छोड़ देता है

मासूमियत

वह बस

अहंकार में

डूबा अहम को

पोषित करने

लगता है

धीरे-धीरे

हो जाता है

वहम का शिकार

उसे लगता है

वही ईश्वर है

अहम और वहम

के मध्य दबकर

भी उसकी अकड़

बढ़ती ही जाती है

अकड़ की पकड़ से

नहीं छूट पाता है

फिर कभी


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