Tuesday 27 December 2022

परिधि का विस्तार

 परिधि का विस्तार


लघुता की

सीमित परिधि

को असीम तक

खींच ले जाने

की जद्दोजहद

प्रतियोगिता

किसी से न

रखने की

दृढ़ इच्छाशक्ति

न तृण

न पर्वत

न समुद्र 

न नदी

उसे नहीं

होना 

अपने सिवा

और कुछ भी

क्षितिज के 

बिंदु पर

पहुँचने की

आकांक्षा भी नहीं

बस........

जान लेना 

आत्म को

संतों के

शब्दों में

अंशी के

अंश को

हो जाना 

अपने जैसा

फिर बनाए

रखना 

अपने को

अपने ही जैसा

विशुद्धता ही

चुनौती 

और.... 

चुनौती के लिए

ही...

स्वीकार्य भाव

खालिस होना

ही तो 

एकमात्र लक्ष्य

फिर चाहे

वह दुर्गम 

या सुगम

स्वीकार 

मार्ग पर 

चलना भी

ठोकरें भी

जीत भी

यहाँ तक कि

हार भी

स्वीकार 

हर चुनौती।


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