बचपन की सखियाँ
तुम सबको
साथ रखा
यादों में
साँसों में
गुजरता रहा समय
बदलती रहीं
परिस्थितियां
आते रहे नए लोग
इन सबके
बीच से
गुजरते हुए
सहेजती रही
तुम्हारे चेहरे,
मुस्कान, आवाज
ढूंढती रही
तुम्हारा ठिकाना
जब जब गुजरी
उन गलियों से
जिनमें हुआ
करता था
तुम्हारा घर
बहुत बार
पूछा
तुम सबका पता
लोगों से
आखिर
बचपन की
सहेलियां ही तो
मेरे जीवन की
पूँजी थी
कमा ले
सकते हैं
हम सब आगे
बहुत कुछ
पर कमाया जो
बचपन में
तुम सबका साथ
उस कमाई को
संभाले रखी हूँ मैं
यादों के खजाने में
मेरी बचपन की
प्यारी सखियाँ
मेरी सबसे बड़ी
थाती हैं
जिन्हें सहेज रखूँगी
यूँ ही
सदा के लिए
क्योंकि
नहीं लौटेगा
बचपन
दुबारा
पर सखियों
सँग जीती रहूँगी
अपना बचपन
झुर्री भरे चेहरे
और
सफेद बालों सँग भी।
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