साहित्य का जन्म
जब जब
पकी गेहूँ की बालियाँ
झूमती हैं हवा में
मेरे भीतर
जनमती है
एक सुंदर कविता
जब जब
आम की मंजरी
टपकती है
धरती पर
एक महाकाव्य
का श्री गणेश
होता है
जब जब
पिकी की कूक
वातावरण में
गूँजती है
पंचम सुर
लेता आकार
इसी प्रकृति से
उपजा है
काव्य-सौंदर्य
छंद-लय
सुंदर उठान
तार सप्तक की
यहीं पैदा हुई है
ग्रंथ लिखे
गए सारे
प्रकृति को
पढ़ने के
बाद ही।
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