बस! एक छोटी सी बात ही तो थी
आँखों में कट गई रात ही तो थी
जिन पर छिड़कते रहे जान रात-दिन
उनकी बेवफाई सौगात ही तो थी
कहाँ-कहाँ की बातें याद आती हैं
न हुई ठीक से मुलाकात ही तो थी
मेरा चेहरा ही बयाँ कर देता दिल का हाल
देख सके नहीं ताज्जुब की बात ही तो थी
अनमोल खजाने लुटा दिए सस्ता जान
कुदरत की दी हुई सौगात ही तो थी
जब देखो बरस पड़ती हैं आदतन मेरी आँखे
औरों की नज़र में मामूली बरसात ही तो थी
साजो-सामान जुटाते गुजार दी है जिंदगी
खो गई रौनक दुनिया लौटती बारात ही तो थी
हँसते हैं भोलेपन पे तो हँस लेने दे बिभा
कुछ कर दिखाने की ये शुरुआत ही तो थी
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