सुंदरतम देश
जब खेती करने से
नहीं भरता पेट
कैसे कहें
अपने देश को
कृषि
प्रधान देश
जब नहीं
पहुँच पा रही
मुनिया के हाथों तक
कलम
वह लिए घूम रही
चाय की ट्रे
कैसे लगाएँ
बेटी बचाओ
बेटी पढ़ाओ की टेर
मेरे चारों ओर शिक्षा,
ऊर्जा, जानकारी
और कौशल से लैस युवा
बेरोजगारी की
नदी में तैर रहे
न जाने कितनी
देर और
मार सकेंगे
हाथ-पाँव
कहीं रुक न जाएँ
उनकी साँसें
चिंता से मेरी
ऊपर की साँस
ऊपर
नीचे की नीचे
जहाँ अच्छी बातें
सिर्फ बोलने
के लिए हैं
अमल करने के लिए
सिर्फ क्लेश
वहाँ कैसे बचे
स्वाभिमान
आत्मसम्मान
पर्यावरण प्रदूषित
पर अंतर्मन ही
कहाँ रह सका शेष
जाने कैसा
होता जा रहा
अपना देश
कर्म प्रधान संस्कृति
आज व्याकुल
मन मलिन
उज्ज्वल वेश
लिपे-पुते चेहरे
लाल हरे केश
कहाँ हैं
संत-दरवेश
आओ बचा लें
मानवता, प्रेम
बचा लें
विश्व का
सुंदरतम देश
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