मीरा की प्रासंगिकता
मीरा रहेंगी
प्रासंगिक
तब तक
जब तक
धरा पर
विशुद्ध प्रेम है
समर्पण उनका
दिखता है
आज भी
यहाँ-वहाँ
चारों ओर
जीवित हैं मीरा
उनका नाम
चाहे जो
कुछ भी हो
कृष्ण ने ही
कहा था न
नाम तो
पुकारने का
साधन मात्र है।
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