वह खुद तय करेगी
आज़ाद ख्याल
लड़कियाँ
लोगों की सोच से
लाख दर्ज़े
बेहतर होती हैं
कोई हक़ नहीं है
किसी को उसे
नापने-तौलने या
किसी खाँचे में
बिठाने या
साँचे में
ढालने का
अपनी जीवन-शैली
वह खुद तय करेगी
औरतों को
नहीं देता
ढूंढने का
विकल्प समाज
अधिकतर चीजें
उस पर थोप
दी जाती हैं
उससे पूछा नहीं जाता
अक्सर कुछ भी
बस थमा दिया जाता है,
थोप दिया जाता है
अपेक्षा की जाती है
फिर भी उफ़्फ़ न करे
बस कोल्हू के बैलों की तरह
आँख पर पट्टी लगा,
घूमती रहे,
दायरे में
उसे धरती कह
सहना सिखाया जाता है,
इतिहास के पन्ने गवाह हैं,
यहाँ रचे गए हैं
स्वयंवर
पर,
ये बीते युग की बात है
इक्कीसवीं सदी में
कहते हैं
माता-पिता
पढ़-लिख चाहे जितना
तेरे विवाह का निर्णय
हम करेंगे।
जो बिटिया
लगाना ही हो दिल
तो मूल-गोत्र, जाति
जान लेना,
हम अरेंज कर देंगे
तेरे लव को
बिटिया नाक मत कटवाना
उठने-बैठने देना
हमें बिरादरी में।
न मान जो कर लेती हैं
अपने मन से ब्याह
तो ऑनर किलिंग
कराते भी देर नहीं लगती है।
कहते हैं,
वक्त आगे बढ़ गया
हाँ!
बस मुट्ठी भर
लड़कियों के लिए,
आज भी
आज़ाद ख्याल लड़कियाँ
कहाँ भाती हैं
किसी को,
न घर में
न
बाहर
फिर वही क्यों
सोचती रहे
कुढती रहे,
घुटती रहे
उसे हक है
जीने का
प्यार देने और पाने का
उसे हक़ है
अपना जीवन
अपनी मर्ज़ी से
बिताने का
आप न दें
कुछ भी
वह बना लेगी सब कुछ
जो दूसरों का जीवन
संवारती आई है
उसे हक है
अपना जीवन
संवारने का।
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