Tuesday 27 December 2022

बदगुमानियां

 बदगुमानियां


वायदे तोड़ कर

खुश हुए

मुझे छोड़कर

दिन थे उनके

सुख के दिन थे

जेब भरी थी

सत्ता मुट्ठी में थी

आ गए न जाने कैसे

आज मेरे दरवाजे पर

हाथ जोड़कर

माफी माँगी

गलती न

दुहराने की

कसमें खाईं

भर आईं

आँखें मेरी

रो दिया दिल

खुश रहो

ये दुआ है मेरी

पर न होंगी

पहले जैसी

नजदीकियां अब

रोई हूँ

मैं बहुत ज्यादा

एक बार

तेरे चले जाने पर

मत करो फिर से

मुझे रुलाने के

सौ सौ इंतजाम

मेरा जीवन संवार लूँगी

आप ही मैं

छोड़ दो

मुझे मेरे 

हाल पर

याद रखना

प्रेम कोई

सौदा नहीं है

बन सको तो

बनो बस इंसान

बस इंसान

जिसे बचा सको तो

बचा लेना

व्यर्थ की

बदगुमानियों से।


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