Friday 16 December 2022

बचके रहना तुम

 बचके रहना तुम


तुम बचके रहना उनसे

जो निहायत सज्जन हैं

नहीं जानते हैं

छह-पाँच

बहुत आसानी से

ठग लेते हो

जिन्हें …

उनसे बिल्कुल

बचके रहना तुम 

याद रहे

जिनके दिल

अबोध बच्चों जैसे हैं

जो दूर हैं

छल-कपट की दुनिया से

जिन्हें आता ही नहीं है

नौ-छह करना

निश्चित ही

बचके रहना उनसे

छेड़ना मत उन्हें

हाथ भी न लगाना भूलकर भी

जो तुम्हारे

पूर्वजों द्वारा भी

सताए गए हैं

तुम्हारी गाली खा जो

चुप रह गए 

तुम्हारे द्वारा थप्पड़ लगाने पर

गाल पकड़कर

रोए 

किंतु पलटकर

नहीं मारा तुम्हें

याद रखो

भली-भाँति समझ लो

बचके रहना उनसे

जिनकी मजदूरी

तुम पचा गए

जन्मभर की जमा-पूँजी खा गए

जिनके पैसे लेकर बैठ गए

और भरोसा खा गए

जिनके सारे रास्तों के

आड़े आ गए तुम

जिनको इस्तेमाल किया

तुमने तेल-साबुन की तरह

देख लो

बचके रहना पड़ेगा तुम्हें उनसे

जिनकी विनम्रता को

समझ बैठे तुम

कमजोरी

जिनके घर तुम करते रहे

दिन-रात चोरी

जो गरीब होकर भी

उदार हैं 

कृपणता के स्वामी सुनो

उनसे बचके ही 

रहना तुम

जिन्हें नहीं आता 

झूठ बोलना

नहीं हैं जिनके पास

सैकड़ों चेहरे

जो गिरगिट की तरह

रंग बदलना

नहीं जानते 

उनसे बचके रहना तुम

जिनके दिल पारदर्शी हैं

स्वच्छ जल की तरह

जो सह लेते हैं सबकुछ

धरती की तरह

जिन पर पाँव रखकर

चढ़ते हो तुम

सीढी की तरह

खबरदार!

उनसे बचके रहना तुम

अभावों में मुस्कुराने वाले

दूसरों का बोझ

कंधों पर ढोने वाले

कुली-कबाड़ी, मजदूर, बेलदार कह

संबोधित करते हो जिन्हें

उनसे पूरी तरह

बचके ही रहना तुम

विरासत में जिन्हें

चाँदी का चम्मच नहीं

खुरपी-कुदाल मिली हैं

जिनके सिर पर 

छप्पड़ तक नहीं

देह नंगी, 

और पेट

पीठ में धँसा है

मन में है तूफान

और फिर भी होंठ सिले हैं

उनसे बचके रहना तुम

जो सच्चे हैं

सीधे हैं

भोले-भाले

बहुत ही अच्छे हैं

आसानी से

मान लेते हैं

तुम्हारी बात

उनसे बचके ही रहना तुम

जो तुम्हारे जूते से

कुचले जाने पर भी

जिंदा बच गए

तुम्हारी लाठी खाकर भी

दम नहीं तोड़ा

सिर्फ घायल हुए

जो रखते हैं माद्दा

सीने पर गोली खाने का

उनसे बचके रहना तुम

हाँ-हाँ उनसे बचके ही रहना

क्योंकि जिस दिन

टूट जाएगा उनके सब्र का बाँध

कर देंगे तुम्हें बेनकाब

मुँह छुपाने की भी जगह

नहीं मिलेगी तुम्हें

मारेंगे घुसकर तुम्हें

तुम्हारे ही घर में

फाड़ देंगे तुम्हारी छाती

करेंगे हिसाब तुम्हारे

एक-एक कुकृत्य का

इसीलिए बेहतर है कि

उनसे बचके ही रहना तुम

बचकर रहना उनसे

जो चलकर आए हैं अपने पैरों पर

फट गए हैं जिनके जूते

घिस गए हैं तलवे

बिवाई भरी हैं एड़ियाँ

गिरते-पड़ते

छिल गए हैं जिनके 

घुटने, हथेली और मुँह

उनसे बचके रहना तुम

भूखे पेट, प्यासे गले

और जागती आँखों से

जिसने जिया है संघर्ष को

रोते-रोते रुँध गई है आवाज

बलगम भरी छाती

ईलाज और पोषण के अभाव में

हो गई है छलनी

उसकी ताकत का अंदाज़ा

कहाँ हो सकता है तुम्हें

इसलिए तुम

उनसे बचके रहना

जिनके पास

न थाली है न रोटी

सब्जी-साग और सालन

ख्वाब तक में नहीं है

हाथ मत साफ करना

उनके चने-चबेने पर

सावधान!

बस उनसे बचके रहना तुम।


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