नाश्ता और टिफिन2
उनींदी आँखें
भोर पहर
खुलती हैं
जिम्दारियों की फेहरिस्त
मन ही मन
रिवाइज करती हुई
नींद लोहे के जूते पहने
पाँवों से जैसे
कुचल रही हो
आँखों को
जागने-सोने
के बीच की
अन्यमनस्क सी स्थिति में
बंद आँखों से
राह टटोलती
किचन में
पहुँचकर
चाय का पानी
चढ़ा देती है
न जाने किस
झोंक में
सबका नाश्ता-टिफिन
बना देती है
घड़ी की
तीव्र गति से जूझती
भागती-दौड़ती
लड़खड़ाती
दफ्तर के
बायोमेट्रिक में
समय पर
अंगूठा भी
लगा ही देती है
याद आता है
पेट की
गुड़गुड़ाहट के साथ
अपना पैक्ड टिफिन
और नाश्ता
भूल आई है
डायनिग टेबल पर ही
पानी की बोतल
के साथ ही।
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