Sunday 25 December 2022

ठहर जाना तुम

 ठहर जाना तुम


सब छोड़ जाएँगे

पर ठहर जाना तुम

बस तुम्हारे

आसपास होने का सुख

मुझे बचा लेगा

व्यर्थ चिंताओं से

दुखों की पोटली

गाँठ खोलने का साहस

नहीं कर सकेगी

पड़ी रहेगी किसी

कोने में लावारिस

ट्रेन की भीड़ में

यात्री के हाथ से

स्टेशन पर गिरी

गठरी की तरह

तुम्हारी मुस्कुराहटें

और कहकहे

उसे कुचल देंगे

कुछ उसी अंदाज में

जैसे स्टेशन पर

गिरी गठरी को

जूतों तले रौंद

देते हैं यात्रीगण

तुम रहना मेरे पास

सुन लेना मेरी बातें

सबके पास बोलने को

न जुबान खुलती है

न कोई सुन ही पाता है

मेरी पहरों पहर

चलने वाली राम कहानी

जाना चाहो तब भी

यह सोचकर रुक जाना कि

तुम्हारे जाने से कोई

अकेला महसूस कर सकता है।


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