ठहर जाना तुम
सब छोड़ जाएँगे
पर ठहर जाना तुम
बस तुम्हारे
आसपास होने का सुख
मुझे बचा लेगा
व्यर्थ चिंताओं से
दुखों की पोटली
गाँठ खोलने का साहस
नहीं कर सकेगी
पड़ी रहेगी किसी
कोने में लावारिस
ट्रेन की भीड़ में
यात्री के हाथ से
स्टेशन पर गिरी
गठरी की तरह
तुम्हारी मुस्कुराहटें
और कहकहे
उसे कुचल देंगे
कुछ उसी अंदाज में
जैसे स्टेशन पर
गिरी गठरी को
जूतों तले रौंद
देते हैं यात्रीगण
तुम रहना मेरे पास
सुन लेना मेरी बातें
सबके पास बोलने को
न जुबान खुलती है
न कोई सुन ही पाता है
मेरी पहरों पहर
चलने वाली राम कहानी
जाना चाहो तब भी
यह सोचकर रुक जाना कि
तुम्हारे जाने से कोई
अकेला महसूस कर सकता है।
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