Tuesday 13 December 2022

माँ जैसी



माँ जैसी


बचपन से ही मैं

माँ जैसी 

होना चाहती थी

उनकी साड़ी

लपेट स्वयं को

आईने में

निहारती थी

उनकी ही

तरह मुस्कुराना

चाहती थी

वैसी ही

उदारता अपने

भीतर उत्पन्न

करना चाहती थी

आज भी मैं

माँ जैसी ही

होना चाहती

हूँ

कोशिश जारी है

माँ जैसी

हो पाना

अच्छा इंसान

होने का

पुख़्ता प्रमाण

है मेरे लिए

हाँ मैं

माँ जैसी

होने के पथ पर

प्रयासरत हूँ।



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