माँ जैसी
बचपन से ही मैं
माँ जैसी
होना चाहती थी
उनकी साड़ी
लपेट स्वयं को
आईने में
निहारती थी
उनकी ही
तरह मुस्कुराना
चाहती थी
वैसी ही
उदारता अपने
भीतर उत्पन्न
करना चाहती थी
आज भी मैं
माँ जैसी ही
होना चाहती
हूँ
कोशिश जारी है
माँ जैसी
हो पाना
अच्छा इंसान
होने का
पुख़्ता प्रमाण
है मेरे लिए
हाँ मैं
माँ जैसी
होने के पथ पर
प्रयासरत हूँ।
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