खुलकर जीना
चाहती थी
मगर किसी तरह
ज़िंदगी को
काट लेने पर
मजबूर थी
मुस्कुराना चाहती थी
मगर उसके
परिणामों से
इस कदर
डरा दिया गया था
कि ऊपर के
दाँतों को
निचली दंतपंक्ति पर
कसकर दबा देती थी
उसने देखा-सुना
था बेहोशी में
दंतपंक्तियों को
आपस में
इस तरह चिपकते
जैसे फेविकोल का
जोड़ हो
गाँव में ऐसी
अवस्था को
दाँती लगना
कहते थे
वह होश में आना
चाहती थी
मगर कड़वे
अनुभवों से
पार पाने के लिए
उसे दांती लगी
अवस्था में
बेसुध पड़े रहना
भी अब मंजूर
होने लगा है।
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