Tuesday 13 December 2022

चिपके दाँत

 खुलकर जीना 

चाहती थी

मगर किसी तरह

ज़िंदगी को

काट लेने पर

मजबूर थी

मुस्कुराना चाहती थी

मगर उसके

परिणामों से

इस कदर

डरा दिया गया था

कि ऊपर के

दाँतों को

निचली दंतपंक्ति पर

कसकर दबा देती थी

उसने देखा-सुना

था बेहोशी में

दंतपंक्तियों को

आपस में

इस तरह चिपकते

जैसे फेविकोल का

जोड़ हो

गाँव में ऐसी

अवस्था को

दाँती लगना

कहते थे

वह होश में आना

चाहती थी

मगर कड़वे

अनुभवों से

पार पाने के लिए

उसे दांती लगी

अवस्था में

बेसुध पड़े रहना

भी अब मंजूर

होने लगा है।


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