Monday 26 December 2022

अपरिपक्व प्रेम

 अपरिपक्व प्रेम


न मुझे

पता चल पाया

न उसे

कच्ची उम्र का

प्रेम सच्चा था

ये न

मुझे बताना आया

न उसे

समझना

छुपाने की

कोशिश में

उजागर होते रहे

भाव

हमदोनों को

छोड़कर

पूरी दुनिया

को पता थी

हमारी 

प्रेम-कहानी

पहले आप

की जिद में

न हो सकी

अभिव्यक्ति

अपरिपक्व प्रेम

संजो कर

रखा जा चुका

वक्त के

तहखाने में।


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