अपरिपक्व प्रेम
न मुझे
पता चल पाया
न उसे
कच्ची उम्र का
प्रेम सच्चा था
ये न
मुझे बताना आया
न उसे
समझना
छुपाने की
कोशिश में
उजागर होते रहे
भाव
हमदोनों को
छोड़कर
पूरी दुनिया
को पता थी
हमारी
प्रेम-कहानी
पहले आप
की जिद में
न हो सकी
अभिव्यक्ति
अपरिपक्व प्रेम
संजो कर
रखा जा चुका
वक्त के
तहखाने में।
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