Friday 30 December 2022

भीड़ को चीरकर

 भीड़ को चीरकर


दर्द से

गुजरते हुए

सहनशीलता का

पाठ पढ़ते हुए

हुआ निर्माण

रोम रोम

देता है गवाही

कि आदत

पड़ गई है

दर्द सँग जीने की

आँखें हैं कि

फिर भी

रोती हैं

हर बार

दिल है कि

कचोटता है

हर बार

रोम-रोम को दर्द से

गुजरने की आदत

आँखों को

रोने की आदत

दिल को

कचोटने की

आदत

इन सबको

जानकर

पहचान कर

भीड़ को 

चीरकर

आगे बढ़ने की आदत।


16. रंगमंच


रंगमंच पर

आकर अवाक

मौन कलाकार

अपने जीवन को

ही 

मंच पर

जीता हुआ

लोगों की

वाहवाही से

कुछ छुपता हुआ

बचता हुआ

मैं ने कुछ भी

नहीं किया

अभिनय तो

बिल्कुल भी नहीं

बस अपने आप को

आपके सामने

रखा है

अभिनय तो

मैं करता हूँ

अपने जीवन में

अपने दुखों को

छुपाने हेतु

तब कोई नहीं

कहता

वाह! वाह!


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