अप्सराएँ
अप्सराएँ
स्वर्ग से नहीं
उतरा करतीं
वे जहाँ
पाँव रखती हैं
स्वर्ग स्वतः
निर्मित
हो जाता है
उनके अदृश्य
पंख
नाप लेते हैं
पल भर में
आकाश
उन्हें
आती है
जीने की कला
धरती पर
जीवन
बाँटती हुई
करती चलती हैं
धन्यवाद
हितैषियों का
जिसे अक्सर
वरदान
समझ लेते हैं लोग
अप्सराएँ
किसी दूर
देश में
नहीं बसा
करतीं
बल्कि
मिल जाती हैं
किसी गाँव-शहर में
ये मिट्टी-पानी
के बीच ही
उगती और
उमगती हैं।
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