Saturday 26 November 2022

कुछ और कहाँ चाहिए

 कुछ और कहाँ चाहिए


सखियों सँग बीते शाम

तो कुछ और कहाँ चाहिए

मिलते नहीं लोग अक्सर वहाँ

होना उन्हें जहाँ चाहिए

मेरे तुम्हारे विचार 

अलग हुए तो क्या

सद्भावनाओं से बंधा समां

होना चाहिए

भूलेंगे, याद करेंगे

सोचेंगे मुहब्बत को

रहने दो हिसाब को वहीं

उसे जहाँ होना चाहिए

ऐब और हुनर की

बात क्या करें यहाँ

परखने को अदद एक इंसां

होना चाहिए

आधी रात के सपने

खूबसूरत सही

चिलचिलाती धूप में बस

इक मकां होना चाहिए

अपना वही है जो

कड़वा बोल रहा

मीठा बोलें जो उनका

इम्तिहान होना चाहिए

सौदे में अनाड़ी लोग

प्यार में कमाल करते हैं

इल्म और तालीम को

मासूमियत पर 

कुर्बान होना चाहिए

हारने वाले अक्सर

दिल जीत लेते हैं

दंगल के लिए भी

एक मैदान होना चाहिए।


No comments:

Post a Comment