Saturday 26 November 2022

खूँटे की गाय

 खूँटे की गाय


गणित के घण्टे में

क्षेत्रमिति में खूँटे

से बंधी गाय

के प्रश्न हल करते हुए

वह देखने लगती थी

उस गाय में

स्वयं को

त्रिज्या, व्यास

परिधि, क्षेत्रफल

सब भूल जाती थी

छप जाती थी

आँखों में

बस गाय के

चेहरे की बेबसी

उस गाय के भाव

आईने में देखी

अपनी सूरत

सी लगती थी

इन्हीं ऊहापोह

में डूबती

उतारती

हिसाब बनाती जाती

फॉर्मूला भूल

जाती

उत्तर का मिलान

नहीं हो पाता

मास्साब छड़ी तोड़ देते

उसके ऊपर

हथेली लहूलुहान

हो जाती

कानों में पड़ते थे

मास्साब के

भर्त्सना भरे शब्द

-“ई झोंटैली

सब क्या पढ़ेगी गणित

दिमाग का गुद्दी तो

ढील खा लेती है

अपमान से

भरकर बेबसी में

आँसू बहाती

हिंदी की कक्षा में

खुसरो की पंक्ति

पढ़ाते दूसरे मास्साब

-“मैं तो बाबुल

तेरे खूँटे की गैया

 वह आश्चर्यचकित

रह जाती

उसके मन की बात

खुसरो कैसे

जान गए।


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