स्वच्छता अभियान
गालियां खाकर
भला पेट
भरता है क्या
बस मन
हो जाता
न जाने
कैसा-कैसा
कुछ लोग
गालियां खाने से
बेइंतहा डरते थे
सावधान
रहते थे
छोटी सी
गलती से भी
बचते थे
पर कुछ तो
गाली ही खाते
उसका ही
निवेश करते
और भरपूर
निकासी पाते
किसके जीवन
में कितनी
गाली थी
इस ओर
किसी का
ध्यान नहीं था
पर कुछ लोग
थे जो
बचते-बचाते रहे
गालियों से
जीवन में
स्वच्छता सिर्फ
कहने भर से तो
नहीं आ सकती न।
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