हथेलियां छोटी सही
कोशिशें अभी जारी हैं
अंधेरे स्याह गहरे सही
अब रोशनी की बारी है
पूछकर आते हैं क्यों अपने
औरों के लिए चारदीवारी है
दर्द उभरा पलकें भींग चली
मुस्कुराए होंठ ज्यों लाचारी है
वादा नहीं रुक्का नहीं दावा नहीं
देखलें बस दिल की बेकरारी है
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