Sunday 2 July 2023

मनुक्खक इंद्रजाल

 बाघक चांगुर मे

हरिण वा लोक

एक्के रंग

नचार

ओतय कहाँ छै

बचबाक लेल

कोनो उपचार

बिलाइक

चांगुरमे मूस

कनिकबे कालमे

अपन अंत जानि

गोहराबय लागल

अछि अपन

देवता पितर

ताहि सँ कि

बिलाइक हृदयमे

मात्सर्य उमड़ि

जाइछ?

बिलाई मूसक

देहक सभटा

मासु खा क’

ओकर रोइयाँ सँ छारल चाम

कोठीक गोरा तरमे

छोड़ि दोसर

मूसकेँ पकड़बाक लेल

धपायल रहैत छै

मनुक्खे निर्माण

केने छलै

बेर-बेगरताक

चीज-बौस केर

बिक्री-विनिमय

लेल बजारक

मुदा की द’क’

की लेबाक छल

तेकर अवगति

नहि रहलै

ओ त’ जानिए

नहि सकलै

जे कखन ओ

अपनहि

बाजार लेल

एकटा साधन

बनि क’

रहि गेलै

बजार एक्के

बेरमे हजारक

हजार लोककेँ चांगुरमे

झपटि क’

तरहत्थी पर

तमाकुल जेकाँ

चुना क’

कल्ला तर

दाबिक चलि

देलक अछि

फेर सँ

नव-नव

शिकारकेँ

फुसला-पोलहा क

ओकर शोणित

पीबाक लेल

मनुक्ख लेल

प्रकृति देने छलै

सभ किछु

धरि मनुक्ख केँ

संतोख कहाँ

अपन विकासक

नाम पर

कटैत रहल

ओहि गाछक

जड़ि जकर

टिकासन पर

ओकर चास बास छलै

मनुक्ख अपने

बनाओल

इंद्रजालमे

ओझरा क

औना रहल छै।


No comments:

Post a Comment