Sunday 2 July 2023

नेना और मम्मी

 नेना और मम्मी


आपको गर्भमें 

धारण कर,

पढ़ रही थी मैं…

किताबें

लिख रही थी 

लेख और डेज़रटेशन

फिर

दोनों हथेलियों में

आपको थाम 

आपका

चेहरा पढ़ने लगी

लिखने लगी

लोरियां

जो मेरे होठों पर

आतीं कि

कण्ठ सुरीली

तान उठाने लगती

आपके 

नन्हें गुलाबी होंठ

मुस्कुराते से 

शब्दों को पकड़ने

को आतुर 

कि क्षणांश में

रोनी सूरत

बना लेते आप

आपकी दादी

कहती थीं 

हर बच्चा

ऐसे ही रोता-हँसता है

इस वक्त वह

भगवान से बातें

करता है

आपकी नानी

कहतीं-

मेरी अल्हड़ बेटी 

शिशु पकड़ना भी

नहीं आता

ऐसे लिए आ रही है

बाबू को

जैसे आरती की थाली

धीरे-धीरे

खेल-खेलमें

बदलने लगे हम

भूमिकाएँ

आप मम्मी

और मैं नेना बन

पू-झा और

लुका-छिपी

खूब खेलने लगे

बैठना भी

सीख गए आप

किताबों के बीच

पूछ-पूछकर

अक्षर भी

पहचानने लगे

तबसे तो अपना 

लिखने-पढ़ने

सीखने-सिखाने

का दिलचस्प क्रम

चल निकला

मैं ने आपको

अक्षर सिखाया 

और आपने मुझे

कम्प्यूटर ऑन

करने से 

टाइपिंग तक

आपने

इसी तिथि को

दिया था मुझे

माँ बनने का गौरव

मुझे नहीं पता

मैं अच्छी

माँ बन पाई 

कि नहीं

पर आप

बहुत अच्छे

बच्चे हो

खरे सोने से लोचदार

सच्चे हीरे से

चमकदार

और स्वच्छ जल

की तरह पारदर्शी।








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