Thursday 5 January 2023

सातवां आसमान

 सातवाँ आसमान

गुड़हल की लाली

गुलाब की कोमलता

अल्हड़ किशोरी

काया जैसे लता

संधि-वयस पर खड़ी

बड़ी-बड़ी आँखों में

बड़े-बड़े स्वप्न लिए

खोलती है पँख

छूने को आसमान

माँ का कलेजा

पीपल के पत्ते सा कंपित

पिता का हृदय

क्षण-क्षण आशंकित

बिटिया की चाहतें

ज़माने की दुश्वारियां 

संभलकर बिटिया

ध्यान रहे मेरी बच्ची

सड़क पर आकर उसका

डर-डर कर चलना

फूँक-फूँककर

कदम रखना

जब तक न लौटे

मातापिता की

टिकी रहती हैं

घड़ी पर निगाहें

एक एक दिन

कटता है 

सौ-सौ प्रार्थनाओं में

डर है

मन के भीतर

बहुत डर है

पर डर के मारे

बिटिया के

पँख न कतरेंगे

उसे सिखाएँगे

सामना करना

उड़ान भरना

उड़कर छू लेना

सातवें आसमान को


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