जीवन-पथ पर भटकते
रहे कदम,
जाना कहाँ था,
कहाँ आ गए हम,
अनिश्चित भविष्य,
अस्थिर मन,
उलझनों से भरा हुआ,
ये जीवन।
चाहा बहुत कुछ,
कर सके नहीं हम।
पलकें उनींदी,
बोझिल हो रहीं,
आशंकाएँ सोने नहीं दे रहीं,
सोचते रहे,
जूझते रहे,
कोशिश ही करते रहे हरदम।
फिर भी,
रहे मंजिल से दूर क्यों,
आखिर,
नहीं समझ सके हम।
तनाव से बचना चाहा बहुत,
पर,
न जाने क्यों बच सके नहीं हम।
बहुत ही सुंदर मैम
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