Sunday 12 April 2015

कोई खुश है कोई उदास

कोई खुश है कोई उदास
कोई खुश है,
आज भरपेट खाना मिल गया,
कोई उदास है,
मनपसन्द बिरयानी नहीं मिली।
कोई खुश है,
आज धुले कपड़े पहनने को मिल गए,
कोई उदास है,
सिल्क की नयी साड़ी नहीं खरीद सकी।
कोई खुश है,
आज मुहल्ले के नलके से,
एक बाल्टी पानी ले आई है,
कोई उदास है,
आज अंग्रेज़ी शराब नहीं मिली।
कोई खुश है,
आज बस में सीट मिल गयी,
कोई उदास है,
लेटेस्ट मॉडल की कार नहीं खरीद सका।
कोई खुश है,
आज घर से बाहर निकलने का मौका मिला है,
कोई उदास है,
सालों से घर नहीं जा सका है।
कोई खुश है,
आज बच्चे घर आए हैं,
कोई उदास है,
आज बच्चों ने घर से बाहर कर दिया है।
कोई खुश है,
फटा ही सही पर एक गद्दा मिल गया है सोने को,
कोई उदास है,
शानदार गद्दे और रेशमी चादर पर भी नींद नहीं आती है।
कोई खुश है,
आज पूरे परिवार के बीच एक कंबल मिल गया है ओढ़ने को,
कोई उदास है,
दो रजाइयों के भीतर अकेला ठिठुर रहा है।  
कोई खुश है,
आज माँ ने तिलक लगा कर परीक्षा देने के लिए भेजा,
कोई उदास है,
कभी माँ का मुँह नहीं देखा,जीवन ही परीक्षा बन गयी है।
कोई खुश है,
 आज दीवाली है,
कोई उदास है,
आज दिवाला निकल गया है।
कोई खुश है,
उसके शरीर के सारे अंग सलामत हैं,
कोई उदास है,
शरीर पर धारण करने के लिए आभूषण नहीं हैं।
कोई खुश है,
आज मिठाई खाने को मिली,
कोई उदास है,
कि मधुमेह का शिकार है।
कोई खुश है,
आज बच्चे ने गर्व से सर ऊँचा कर दिया,
कोई उदास है,
कि नालायक पैदा होते ही क्यों नहीं मर गया।
कोई खुश है,
कि घर में बहुत कुछ है,
कोई उदास है,
कि सब कुछ क्यों नहीं है।
कोई खुश है,
आज जान बच गयी,
कोई उदास है,
कि मौत क्यों नहीं आती ?
कोई खुश है कोई उदास है।             

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