Thursday 12 August 2021

मेरी मुन्नी

 मेरी मुन्नी


मेरी मुन्नी

घबराना नहीं

जब तक

तेरे हाथों में

कलम है

अपना हौसला

बुलंद रखना

अभी तुम्हारे

डैनों को

नापनी है

आकाश की

ऊँचाई

अभी तुम्हें

अपने नाम की

तख़्ती

सबसे ऊँची

कांटी में

लटकानी है

क्या फर्क

पड़ता है

जो औरों को

तुम्हारी कद्र नहीं

अभी तो

तुम्हारी अपनी

नज़रों में

पहचान होनी

बाकी है

अभी करना है

मायके-ससुराल,

आस-पड़ोस

गाँव-जिला,

राज्य और देश 

का नाम रौशन

गर्व करना है

तुमपर

अभी तो

उन सबको

जो आज

पहचानने से

भी इंकार

कर रहे हैं

कल को

कहते

फिरेंगे

अरे मेरी

बिटिया है

अपनी भतीजी

है

भांजी है

अरे मेरे ही

गाँव की है

तुम्हें बदलना

है वर्तमान

निखारना

है भविष्य

और रचना है

इतिहास

जो कहते हैं

बिटिया बोझ है

उन्हें

बताना है कि

बेटी से

मजबूत

अवलंब

शायद ही

कोई दूसरा

होता है

जिन्हें लगता है

मातृत्व

कैरियर में

बाधा है

उनको 

समझाना है कि

मुन्नी तो

चमकेगी ही

फ़लक पर

अपनी मुन्नी 

को भी

बनाएगी

चमकता सितारा

मुन्नी हारेगी

नहीं

मुसीबतों से

लड़ेगी

बढ़ेगी स्वयं

औरों को भी

आगे बढ़ाएगी।


सर्वाधिकार@बिभा कुमारी

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