Tuesday 22 September 2015

कुछ जिद्दी लोग


कुछ जिद्दी लोग,
कठिनाइयों को देख भी,
रुकना नहीं जानते।
भूख, प्यास,थकान,दर्द, नींद..
इन सबको झेल कर भी,
चलते ही जाते हैं.........
 हँसते, मुस्कुराते,
नाचते-गाते
आशा का दीप जलाए
बढ़ते ही जाते हैं ...........
जाने इनके दिलों में ,
कितना गहरा विश्वास है .........
कि,
गड्ढ़े, तालाब,नदी,पहाड़, वन
देख भी
वापस मुड़ना नहीं जानते।
कहाँ परवाह है इन्हें?
मौसम की मार की,
गर्मी-सर्दी -बरसात,
प्रकट करते रहें,
अपने भयंकरतम रूप,
अपनी धुन के पक्के ये लोग,
सह लेते हैं,
हँसते हुए सब कुछ।
लगता है-
ये जिद्दी लोग,
घुटने टेकना नहीं जानते।
निकलती चली जा रही है,
दुनिया ......
इनसे कितनी-कितनी आगे,
कभी-कभी,
विचलित भी होते हैं ये,
उन आगे बढ़ने वालों को देख,
पर नहीं जानते ये,
किसी संक्षिप्त रास्ते को..........
आज भी विश्वास है उन्हें,
सीधी राह पर,
कुछ जिद्दी लोग,
गलत राह पर चलना नहीं जानते।
उम्मीदों के टूटने का अनवरत सिलसिला,
न जाने कब से जारी है,
पर दिल के कोने में,
बचा रखा है बड़े जतन से,
इन्होने,
नन्हीं जान उम्मीद  को,
कुछ जिद्दी लोग उम्मीद खोना,
नहीं जानते।
जीत-हार से परे है,
उनका हौसला,
जाने कहाँ से आती है,
इतनी हिम्मत और ताकत,
कि.........
कुछ जिद्दी लोग,
बार-बार हारकर भी,
जीतने का प्रयास नहीं छोडते।
जाने कहाँ से सीख कर आए होते हैं,
ये मुस्कुराने की  आदत,
कि मन और देह पर अनेकों आघात सह कर भी,
कुछ जिद्दी लोग,
मुँह लटकाना नहीं जानते।

  

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