बातें दिमाग से नहीं उतरती,
उन पर समय की,
परत चढ़ जाती है।
रहती हैं यादें,
फिर भी,
ज्यों की त्यों,
यद्यपि हो जातीं धुंधली।
मन के आँगन में,
जब कभी…..
खिलती है धूप,
और छंटती है धुंध,
मन की छटपटाहट,
रहती है,
अव्यक्त।
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