वही चिर परिचित,
कई कई बार सुने,
पुराने और प्रचलित शब्द,
जो लगते हैं,
अत्यंत साधारण,
तुम्हारे लबों पर आते ही,
हो जाते क्यों खास?
होता उनसे एक नवीन परिचय,
ऐसा लगता है,
जैसे कि.....
आज ही समझ पाई हूँ,
उस शब्द का वास्तविक अर्थ।
जान पाती हूँ,
उसके असली मर्म को,
महसूस करती हूँ उसे,
अपने अंतर-अंतरतम,
हृदय - बिंदु तक,
अन्तस्तल की,
अनन्त गहराइयों तक।
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