सुबह की लंबी परछाई, सिमट कर हो जाती, कितनी छोटी, जब सूर्य आ जाता, ठीक सर के ऊपर, और सूर्य ढलने की, गति के साथ ही, परछाई लेने लगती, बड़ा आकार, फिर, शाम होते - होते, हो जाती, पुनः लंबी...... ठीक अपने सपनों की तरह।
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