हृदय की उथल-पुथल
Tuesday 17 March 2015
सहन-शक्ति
सहन-शक्ति की थी,
वह चरम सीमा,
जब लाख प्रयत्न कर रोकने पर भी,
खुल पड़े ये होंठ अकस्मात्...
और निकली हल्की सी आह,
जिसे सुनने वालों ने,
यही समझा,
बर्दाश्त करना ,
नहीं,
इसके वश का।
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