Friday 27 March 2015

वह प्रेमी जोड़ा


प्रेमी जोड़े देखे थे,
मैंने कई।
पर, वह जोड़ा,
उन युवा जोड़ों से,
निहायत उम्रदराज था,  
जो एक-दूसरे का,
हाथ पकड़
करते हैं विवाह के वादे।
इस जोड़े ने भी,
किया था प्रेम विवाह,
जिसे हो गए हैं,
लगभग पच्चीस साल।
आँगन भर चुका है,
तीन संतानों से,
तीनों अब हो चुके हैं,
माता-पिता से भी लंबे।
किन्तु माता-पिता,
आज भी डूबे हुए हैं,
अपने उसी प्रेम में।
नहीं है उन्हें कोई चिंता,
बच्चों के भविष्य की,
उनकी पढ़ाई,
कैरियर या,
किसी और बात की,
सुबह-शाम,
घूमता है वह जोड़ा,
बाइक पर।
पहनता है,
लेटेस्ट फ़ैशन के परिधान,
और बच्चे बेचारे,
पल रहे हैं,
बुज़ुर्ग दादा-दादी के,
सहारे।
जिनकी होनी चाहिए थी,
इस उम्र में देख-भाल,
वो दिन-रात,
पोते-पोतियों की पढ़ाई,
कोचिंग और फ़ीस के लिए,
कर रहे हैं संघर्ष।
पेंशन की सारी रक़म,
खर्च हो जाती है इन्हीं पर,
फिर भी,
वह प्रेमी जोड़ा,
पलट कर नहीं देखता,
अपनी पिछली,
या अगली पीढ़ी के,
सदस्यों की तरफ।
सुना था-
प्रेम अंधा होता है’,
अब देख रही हूँ-
इस जोड़े के माध्यम से….
पर,उस प्रेम की बात,
हम क्यों भूल जाते हैं...
जो एक पीढ़ी की,
बेवफ़ाई झेल कर भी,
अगली पीढ़ी से करता है,
निहायत प्रेम।
उसे संवारने में,
जुटा रहता है,
दिन-रात।
लगा देता है,
अपनी एक-एक पाई,
मुस्कुराते हुए।  


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