Sunday 22 March 2015

वह स्त्री

सुबह से देर रात तक,
काम करती थी वह स्त्री।
एक दिन मैं ने पूछा था-
आखिर क्यों करती हो,
इतनी मेहनत ?’
उसने गर्व से कहा था-
भविष्य के लिए।
मैं ने पूछा-
भविष्य में कहाँ देखती हो खुद को ?’
उसका उत्तर था-चाँद पर,
या शायद उसके भी पार।
पता नहीं कहाँ है वह,
इन दिनों,
लगता है,
उसे अभी तक प्रसिद्धि,
नहीं मिली,
वरना दुनियाँ उसे जानती।
पर मैं जानती हूँ।
आज भी विश्व के किसी कोने में वह,
कर रही होगी,
उतना ही परिश्रम,
और उसका परिणाम आना,
अभी बाकी है।


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