हृदय की उथल-पुथल
Thursday 26 March 2015
तुम्हारी खुशी
मुझे दुख पहुँचाकर
,
तुम्हें खुशी मिलती है न !
ठीक है
,
खुश हो लो
,
चलो
,
यह अधिकार भी
,
दिया तुम्हें
,
पता है क्यों
?
क्योंकि तुम्हें खुश देख
,
मैं अपना दुख
,
भूल जाती हूँ
,
और
,
मैं भी खुश होती हूँ।
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