एक दिन मैं
देखने को बैठी
कि कैसे कली
बनती है फूल,
निहारती रही अपलक
पर नहीं दिख सकी,
खिलने की प्रक्रिया
दिखा तो बस
कली की जगह
फूल।
फिर सोचा
शाम का रात में बदलना
शायद दिख जाए,
इस उम्मीद में बैठी
रही बाहर
लेकिन नहीं समझ पाई
इस बार फिर
कि कैसे शाम बदल
गई रात में।
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