Monday 16 March 2015

प्रकृति

एक दिन मैं
देखने को बैठी
कि कैसे कली
बनती है फूल,
निहारती रही अपलक
पर नहीं दिख सकी,
खिलने की प्रक्रिया
दिखा तो बस
कली की जगह
फूल।
फिर सोचा
शाम का रात में बदलना
शायद दिख जाए,
इस उम्मीद में बैठी
रही बाहर
लेकिन नहीं समझ पाई
इस बार फिर
कि कैसे शाम बदल
गई रात में। 

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