Saturday 21 March 2015

पगली लड़की

उस दिन पहली बार,
मिली थी अकेले में,
एक लड़के से वह,
और दिल में,
कुछ हुआ ज़रूर था।
नहीं मुकर सकती वह,
प्राकृतिक अनुभूति के,
उस सत्य से,
जिसमें उसने,
आकर्षण और प्रेम जैसे,
भावों को आज जी लिया था।
लड़के की आँखों और बातों में भी,
उसने अपने प्रति,
प्रशंसा,आकर्षण और प्रेम जैसे,
भावों को महसूस किया था,
पर, न जाने क्यों ?
..... जाने के बाद,
उसने नहीं भेजी थी,
कोई सूचना,
 या कोई खबर,
और वह लड़की,
खोई सी रहने लगी थी,
उसके ही ख़यालों में।
हाँ,एक दिन कहीं से पता चला कि,
लड़के की शादी हो गयी है,
और लड़की की आँखों में,
आँसू छलक आए थे,
जिसे छुपा लेना चाहा था,
उसने सबसे,
यहाँ तक कि खुद से भी.......
पर कहाँ छुपा पाई किसी से भी.....
रुलाई फूट ही पड़ी थी उसकी,
और खुद पर,
झुंझलाकर रह गयी थी,

वह पगली लड़की। 

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